इसका वृक्ष एवं फल बड़े होते हैं । यह नीम की ही शक्ल कावृक्ष है । इन दोनों में अन्तर कुछ नहीं परन्तु फल और गुण तोअलग-अलग हैं । मार्च, अप्रैल में पुष्प नीली आभा लिये हुए सफेदरंग के खिलते हैं । सितम्बर, अक्टूबर में फल बनते हैं। फल गुच्छों में नीम के फलों से बड़े गोलाकार पकने पर नीले रंग के होते हैं ।फल गुठलीदार होते हैं ।
लाभ
- प्रमेह रोग में फलों का प्रयोग करने का विधान है ।
- अर्श, कुष्ठ, सांस, गुल्म रोगों में भी लाभकारी है ।
- फोड़े फुन्सियों तथा चर्म रोगों में इसके पत्तों का काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से लाभ होता है ।