बादाम हमारे देश में शक्तिशाली होने के कारण बहुत ही लोकप्रिय है । परन्तु बादाम का लाभ उठाने वाले यह कहाँ जानते हैं कि यह बहुत मध्यम कद का पौधा होता है । इसका पर्ण मालाकार एवं बारीक कंगूरेदार होता है। इसके फूल सफेद तथा गुलाबी रंग लिये होते हैं । जो अप्रैल मास में आते हैं । अगस्त मास में इस पर फल आते हैं। इसके फल पौधों के साथ पहले तो हरे रंग के होते हैं । जिन्हें स्थानीय लोग कच्चे खा जाते हैं । इसकी सबसे अच्छी किस्म की पैदावार अफगानिस्तान में होती है। भारत में कश्मीर, हिमाचल में भी इसकी पैदावार काफी हो रही है ।
लाभ तथा उपचार
- बादाम के बारे में हमारे चिकित्सकों का यह मत है कि नारी जाति को बच्चों को जन्म देने के पश्चात् वरदान है। क्योंकि इसे कमर दर्द जैसे रोगों के लिये लाभकारी माना जाता है ।
- औरतों के सफेद पानी (लिकोरिया) जैसे रोगों के लिये बादाम खाना लाभकारी है । परन्तु इसे भिगोकर खाना ही अधिक उपयोगी है । जो लोग इसे भिगोकर खाते हैं उनके लिय यह किसी रसायन से कम नहीं ।
- बादाम के छिलके को जलाकर दन्त मंजन बनाया जाता है जो दांतों के लिये लाभकारी है ।
- बादाम रोगन को सिर पर मालिश करने से खुश्की में लाभ होता है तथा बाल झड़ने से रूकते हैं । मस्तिष्क तेज हो जाता है । मन्द बुद्धि लोगों के लिये अति लाभकारी है । जो लोग अधिक दिमागी काम करते हैं उनके लिये यह एक शक्तिशाली टॉनिक माना जाता है ।
- कानों में बादाम रोगन का एक-एक कतरा हर रोज डालने से कानों की आवाज सुनने की शक्ति बढ़ जाती है तथा बहरापन दूर हो जाता है ।
- जिन बच्चों की जबान तोतली हो अथवा जो बच्चे जल्दी बोल न पा रहे हों उन्हें रात को बादाम की गिरी भिगोकर सुबह उसके छिलके उतारकर ताजा गाय के मक्खन में मिलाकर देने से उनकी जबान ठीक से काम करने लगती है ।
- रोगों के पश्चात् भी कमजोरी को दूर करने के लिए बादाम की गिरी (पांचनग) को दूध में उबालकर पीने से शरीर की खोयी हुई शक्ति फिर वे वापस आ जाती है ।