हल्दी हमारे जीवन के साथ ठीक ऐसे ही जुड़ी है जैसे नमक, मिर्च । इनके साथ यदि हल्दी न हो तो ‘खाने का आनन्द ही नहीं आता । यह वर्ण निखारने वाला पीने रंग का होने से हरिद्रा कहलाता है। इसी कारण इसे गौरी पीता भी कहा गया है। इसे प्राकृतिक रूप से पैदा होने का मौका नहीं मिलता बल्कि खेती बाड़ी से ही इसे किसान पैदा करते हैं। फूल आने का समय अगस्त और फूल आने के पश्चात् ही इसमें फल आता है । लाभकारी भाग-जड़, कन्द ।
लाभ तथा उपचार
- प्रमेह रोगियों को जब मूत्र गदला आने लगता है तब इन्हें हल्दी और आँवले का क्वाथ मिलाकर देने से लाभ होता है ।
- सूजे हुए मस्सों पर हल्दी को घी कुमार के रस में पीसकर लगाने से आराम मिलता है ।
- हल्दी को पीसकर मक्खन में मिलाकर शरीर पर मलने से चर्म रोग दूर होते हैं तथा रूप निखर आता है ।
- गुम चोट तथा आघात में गर्म दूध में हल्दी, गुड़ को मिलाकर पीने से आराम मिलता है ।